निकला था एक गीत मन के द्वार से, कि खो जाऊँ आज बस इसी शाम में। निकला था एक गीत मन के द्वार से, कि खो जाऊँ आज बस इसी शाम में।
चाह कर भी कभी न तोड़ सके ऐसी बेड़ी हमारे पाँव में थी। चाह कर भी कभी न तोड़ सके ऐसी बेड़ी हमारे पाँव में थी।
बेफ़िक्र ज़िंदगी की हमारे नाम भी कुछ निशनियाँ हो ....। बेफ़िक्र ज़िंदगी की हमारे नाम भी कुछ निशनियाँ हो ....।
तुम कोई और नहीं मेरा पहला प्यार हो तुम। तुम कोई और नहीं मेरा पहला प्यार हो तुम।
होरी बड़ी बरजोर है...। होरी बड़ी बरजोर है...।
नदियों के जल ने जैसे ली समाधि तैरती कश्तियों ने भी किनारों पर पसारे पाँव। नदियों के जल ने जैसे ली समाधि तैरती कश्तियों ने भी किनारों पर पसारे पाँव।